तिलस्मी किले का रहस्य भाग_ 4

कहानी _ **तिलस्मी किले का रहस्य**

भाग _ 4

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

प्रताप ने नाराज होते हुए कहा _ न तो तुम पढ़ रही हो न मुझे पढ़ने दे रही हो।
न खुद सो रही हो न मुझे सोने दे रही हो।तुमको पता है कल हम दोनो को परीक्षा देना है।
मेरा विश्वास करो प्रताप मैने बड़ा डरवाना सपना देखा है।सुरभी ने रुआंसी होते हुए कहा।
अच्छा चलो मान लेते हैं तुमने कोई डरावना सपना देखा है तो बताओ क्या देखा था।
प्रताप ने पूछा।
मैंने देखा कि हम तुम किसी किला में घूमने गए है और घूमते घूमते मैं एक तहखाना में पहुंच गई जहा नर कंकालों का ढेर लगा हुआ था।वहा बड़ी डरावनी आवाजे आ रही थी।मैं डर से चीख चिल्ला रही थी और इधर उधर भाग रही थी।लेकिन मुझे कोई रास्ता नही मिल रहा था।
तभी तुम अचानक वहा पता नही किधर से आ जाते हो और मेरा हाथ पकड़कर एक गुप्त रास्ते से भागने लगते हो ।सुरभी ने भयभीत होकर कहा।
कमाल है बड़ा अजीब और भयानक सपना है।मैं तो तुम्हे जानता पहचानता भी नहीं हूं।पहली बार तुमसे इसी होटल में मिला हूं।फिर तुमने मेरे बारे में सपना कैसे देख लिया।प्रताप ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।
यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है ये सब क्या हो रहा है।सुरभी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा।
अच्छा चलो ठीक है तुम हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए सोने की कोशिश करो मैं भी सोता हूं।कल परीक्षा देना है तो सोना जरूरी है।देखो आधिरात से ज्यादा प्रहर बीत चुका है।

सुरभी ने चादर तान कर गहरी नींद में सोई हुई गुड़िया को अपनी बांहों में पकड़कर सो गई।
लेकिन प्रताप की नींद उड़ गई थी।आखिर सुरभी के सपने का क्या रहस्य  हो सकता है।
इसी सोच में उसे कब नींद आ गई पता ही नही चला ।सुबह गुड़िया ने उसे जगाया उसके हाथ में चाय की प्याली। थी।भईया लो चाय पियो अभी होटल के स्टाफ ने दिया है।
प्रताप ने अपनी घड़ी देखा सुबह के आठ बज चुके थे।
उसने चाय की चुस्की लेते हुए कहा ,_ सुरभी कहा है।
वो बाथरूम में स्नान कर रही है।गुड़िया ने जवाब दिया।
तुमने चाय पी लिया क्या प्रताप ने फिर पूछा।
हां भईया मैंने और सुरभी दीदी ने पी लिया है।आप सोए हुए थे तो थर्मस में रख दी थी।आप चाय पियो मैं अपने कमरे में ऊपर जा रही हूं।मुझे भी स्कूल जाना है।
गुड़िया ने कहा और कमरे से बाहर निकल गई।तभी एक स्टाफ आया और पूछा सर नाश्ते में क्या लेंगे।
मुझे हल्का नाश्ता मक्खन ब्रेड टोस्ट और जैम दे देना और सुरभी मैडम से पूछकर बताता हूं।
इतना कहकर वो बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर चिल्लाकर पूछा _ होटल का बैरा नाश्ता के लिए पूछ रहा है क्या मंगा दूं तुम्हारे लिए।
जो तुम मंगा रहे हो वही मंगा दो ।अंदर से सुरभी ने भी चिल्लाकर कहा।
चलो ठीक है लिकन जल्दी नहाकर बाहर निकलो मुझे भी तैयार होंना है।दस बजे परीक्षा केंद्र पर पहुंच जाना है।
ठीक है बस अभी आई सुरभी ने अंदर से जवाब दिया।
प्रताप ने बैरा को बता दिया और कहा ठीक नौ बजे नाश्ता ला देना ।
नौ बजे तक प्रताप भी तैयार हो गया। नाश्ता आ चुका था।दोनो साथ साथ नाश्ता करने लगे।सुरभी ने जल्दी जल्दी अपना नाश्ता कर लिया और बोली ब्रेड टोस्ट बहुत टेस्टी है एक और दो न।प्रताप को भूख लगी हुई थी वो नही देना चाहता था ।अगर तुमको ज्यादा खाना था तो पहले क्यों नहीं बोली मैं और मंगा देता। भूक्खड़ कही की लो खाओ ।इतना कहकर उसने अपना टोस्ट उसे दे दिया।
सुरभी बच्चो की तरह खुश हो गई और टोस्ट खाने लगी।प्रताप को बड़ा गुस्सा आ रहा था।
दस बजे से पहले दोनो परीक्षा केंद्र पर पहुंच गए थे।वहा सैकड़ों लड़के लड़कियां पहले से पहुंचे हुए थे। सबका सीट नंबर और कमरा नंबर नोटिस बोर्ड पर लिखा हुआ था दोनो लिस्ट देखकर अपने अपने कमरे चले गए।
समय पर परीक्षा शुरू हो गई थी। प्रश्न पत्र देखकर सुरभी का दिमाग चकरा गया।सवाल बड़े कठिन लग रहे थे।वो सोचने लगी कास प्रताप उसके आप पास होता तो वो उससे मदद मांग लेती मगर अब क्या करे।
उधर प्रताप को सवालों के जवाब देने में कोई मुश्किल नहीं हो रही थी।हालांकि सवाल उसे भी कठिन लगे थे।

शेष अगले भाग _ 5 में 

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड, मो.9955509286

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5 Comments

Mohammed urooj khan

18-Jan-2024 01:13 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Madhumita

07-Jan-2024 06:38 PM

Nice one

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Khushbu

07-Jan-2024 06:01 PM

V nice

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